साहित्यकार व असलम जावेद चैनल का संबन्ध | Literary and Aslam Javed channel relationship

 

भाषा को ज़िन्दा रखने में साहित्य का महत्व  (Importance of literature in keeping language alive)

साहित्य समाज का दर्पण है। इसका अर्थ यह है कि साहित्य में जो कुछ भी लिखा जाता है उसका विषय समाज से ही लिया जाता है। साहित्य की रचना आज से नहीं की जा रही बल्कि कई सौ साल से की जा रही है। लगभग हर भाषा का अपना साहित्य होता है, माना जाता है कि जिस भाषा का साहित्य है वही भाषा समृद्ध है अर्थात किसी भाषा को अन्नत काल तक ज़िन्दा रखने के लिए उस भाषा का साहित्य होना आवश्यक है। इसका मुख्य कारण यह भी है की भाषा का प्रवाह हमेशा कठिन से सरल की तरफ होता है परिणाम स्वरूप समय के साथ साथ भाषा अपना स्वरूप बदलती है और एक दिन अपने आप को इस प्रकार बदल लेती है कि उसका नाम ही बदल जाता है।



इसे इस प्रकार से समझा जा सकता है कि वर्तमान में जो हम हिन्दी जानते, बोलते या पढ़ते हैं वह हमेशा से ऐसी नहीं थी। माना जाता है कि हिन्दी का जन्म संस्कृत से हुआ है, लेकिन अगर हम हिन्दी और सस्कृत दोनों को सामने रखकर बैठ जाएँ तो दोनों की लिपी तो समान है पर अपने आप में इतनी भिन्न है की एक का नाम संस्कृत है तो दूसरी का नाम हिन्दी है। अर्थात वर्तमान में हम यदि संस्कृत भाषा को जानते हैं तो वह साहित्य के आधार पर क्यूँकि अब ना ही कोई संस्कृत में बात करता है और ना ही संस्कृत में कोई सरकारी काम-काज होता है।


साहित्य अध्यन व सृजन (Study and Creation)  

विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा के दौरान ही साहित्य अध्यन की शुरूआत हो जाती है। विद्यालय की शिक्षा पूर्ण होने तक विद्यार्थी यह समझ जाता है कि साहित्य का महत्व क्या है। हमारे समाज में मौजूद समान्य व्यक्ति ही साहित्य सृजन का विचार करता है या सृजन करता है। साहित्य अध्यन की शुरूआत अधिकतर स्कूल से होती है लेकिन साहित्य सृजन की शुरूआत की कोई आयु नहीं है। साहित्य सृजन करने वाले साहित्यकार अपनी किसी भी आयु में साहित्य सृजन करना आरम्भ कर देते हैं।

साहित्यकार कब प्रसिद्ध होता है? (How does a writer get noticed?)

माना जाता है कि साहित्यकार अपने समय में इतना प्रसिद्ध नहीं होता जितना अपनी ज़िन्दगी के बाद प्रसिद्ध होता है। (इस विषय पर आप खुद विचार कर सकते हैं) इसे इस तरह समझा जा सकता है कि विद्यालय व महाविद्यालय के पाठ्यक्रम में अधिकतर उन साहित्यकारों की रचनाएँ लगाई जाती हैं जो या तो जीवित नहीं हैं या फिर उनकी ज़िन्दगी का कुछ ही हिस्सा बचा है। हमारी समझ कहती है कि पाठ्यक्रम में उन साहित्यकारों की रचना भी शामिल होनी चाहिए जो समकालीन हैं, अर्थात वर्तमान के साहित्यकार हैं।

समकालीन साहित्यकार व असलम जावेद चैनल का संबन्ध (Relationship between modern poet and Aslam Javed channel)

साहित्यकार की प्रसिद्धि के लिए आवश्यक है कि साहित्य समाज के पाठक तक पहुँच जाए। लगभग बीस वर्ष पहले तक साहित्य केवल उन्हीं पाठको तक पहुँच पाता था जो पढ़ाई-लिखाई करते थे, लेकिन वर्तमान में साहित्य समाज तक पहुँचना बहुत ही आसान हो गया है। पिछले कुछ सालो में आई क्रांति के परिणाम स्वरूप घर-घर इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है परिणाम स्वरूप अधिक से अधिक लोग शोशल मीडिया पर मौजूद हैं या शोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं।

कोरोना काल के बाद शोशल मीडिया सबके जीवन का आवश्यक हिस्सा बन गया है। इसे अवसर के रूप में स्वीकार करते हुए असलम जावेद जी ने असलम जावेद चैनल की शुरूआत की है। वर्तमान के साहित्यकार कवि सम्मेल या मुशायरें के माध्यम से अपनी रचनाएँ समाज के सामने प्रस्तुत करते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि कवि सम्मेलन या मुशायरें में लोगों की संख्या सीमित होती है जिस कारण साहित्यकार की रचनाएँ भी सीमित लोगों तक पहुँचती हैं लेकिन असलम जावेद चैनल के माध्यम से साहित्यकार को समाज के सामने लाये जाने की शुरूआत की है।

कवि सम्मेल व मुशायरें के कार्यक्रम को असलम जावेद चैनल पर प्रसारित किया जाता है। प्रसारण के माध्यम से साहित्यकार की रचना साहित्कार से सुनने की सुविधा समाज के पाठक व दर्शक को मिल जाती है। असलम जावेद जी का कहना है कि यह चैनल सिर्फ एक या दो भाषा को प्रमोट नहीं करेगा बल्कि भारत की सभी भाषओ को प्रमोट किया जायेगा अर्थात प्रत्येक भाषा के साहित्यकारो को इस चैनल के माध्यम से समाज के सामने लाया जायेगा। वह साहित्यकार जिन्हें भारत के नगरिक जानते हैं और वह साहित्यकार भी जिन्हें अब तक लोग नहीं जानते हैं या उनकी रचना पाठकों तक नहीं पहुँची है।

असलम जावेद चैनल के ड्रिस्क्रिप्शन में असलम जावेद जी ने चैनल से सबंन्धित अपने विचार व उद्देश्य व्यकत किए हैं जो इस प्रकार हैं - मैंने यह चैनल भारतीय संस्कृति बचाने के लिए व साहित्य को नए आयाम देने के लिए और साहित्य के नए पुराने चराग की हिफ़ाज़त करने के लिए शुरू किया है।

मेरा सबसे बड़ा मक़सद भारत की तमाम भाषाओं की हिफ़ाज़त करना है। भारत की हर भाषा को ज़िंदा रखने के लिए हर भाषा के साहित्यकार को समाज के सामने लाने का निश्चय किया है। साहित्यकार मात्र शहरों में ही नहीं रहते बल्कि छोटे शहर व गांव में भी मौजूद हैं लेकिन उनकी परस्थितियां शहरों तक उन्हें पहुँचने नहीं देती। जो शायर के गुरु होते हैं वह हमेशा गुमनाम ही रह जाते हैं, जो बड़े-बड़े शायर को तराशते हैं। मैंने यह फ़ैसला किया है कि मैं स्वयं उनके शहर गांव जाकर उनसे मिलकर उनके साहित्य को ऑनलाइन के माध्यम से पूरे देश व दुनिया के सामने लेकर आऊंगा

निष्कर्ष (conclusion)

यदि आप सहित्य सृजन करना चाहते हैं? साहित्य पढ़ना या सुनना चाहते हैं? तो आप असलम जावेद चैनल से जुड़ सकते हैं। 

असलम जावेद चैनल

असलम जावेद पेज     

by Sunaina


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