कॉमेडी फिल्म हंगामा का सारांश व समीक्षा | Summary and Review of Comedy Film Hungama


विश्वास का महत्व (Importance of faith)

अक्सर फिल्म व सिरियल में सुनते हैं कि रिश्ता विश्वास पर टिका होता है। लेकिन जब असल ज़िन्दगी में रिश्तो पर विश्वास करने का मौका आता है तो अधिकतर व्यक्ति इस इम्तिहान में फेल हो जाते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि व्यक्ति विश्वास करके अपने रिश्तों को गहरा बना लेतें हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी व्यक्ति पर अंधा विश्वास किया जाए। 

हम बात कर रहें हैं हिन्दी फिल्म हंगामा की वैसे तो यह कॉमेडी फिल्म है। इस फिल्म को देखकर व्यक्ति हँसी की डोज़ से बच नहीं सकता है, लेकिन इसी कॉमेडी फिल्म में पति-पत्नि के एक दूसरे पर विश्वास ना करने के कारण दोनों के रिश्तों में कड़वाहट आ जाती है। 


Comedy Film Hungama

https://in.askmen.com/entertainment/1123556/article/16-years-of-hungama-priyadarshans-best-comedy-after-hera-pheri


हंगामा फिल्म की कहानी (Story of Movie Hungama)


अंजली के शहर आने से फिल्म की शुरूआत होती है। अंजली के पिता ने किसी ज़मीदार से कर्ज लिया था। जिसके कारण ज़मीदार अपने बेटे की शादी अंजली से करवाना चाहता है, लेकिन अंजली को यह मंजूर नहीं होता है परिणाम स्वरूप वह अपना गाँव छोड़कर शहर आ जाती है। दूसरी तरफ चंदू (नायक) भी अपना घर छोड़कर मुम्बई आया है। अंजली और चंदू दोनों को रहने के लिए सस्ती जगह चाहिए होती है। मकान मालिक शादी शुदा जोड़ो को ही घर किराए पर देता है। परिणाम स्वरूप अंजली और नंदू पति-पत्नि होने का नाटक करते हुए घर किराये पर ले लेते हैं। 

राधेशाम तिवारी जिनका अच्छा-खासा करोबार है, अंजली राधेशाम तिवारी से नौकरी की उम्मीद लिए राधेशाम के घर आती है। उसी वक्त जीतू (दूसरा नायक) भी राधेशाम के घर आता है। जीतू को लगता है अंजली राधेशाम तिवारी की बेटी है। कुछ दिन बाद अंजली जीतू के यहाँ नौकरी के लिए जाती है। वहाँ जीतू को आश्चर्य होता है कि इतने बड़े घर की बेटी नौकरी क्यों करना चाहती है? लेकिन फिर भी वह अंजली को नौकरी दे देता है। 

अंजली की नौकरी से एक झूठ की शुरूआत होती है। राधेशाम की पत्नी का भी नाम अंजली होता है। जीतू को लगता है राधेशाम ने अपने करोबार का नाम बेटी अंजली के नाम पर रखा है जबकि राधेशाम ने अपनी पत्नी अंजली के नाम पर अपने करोबार का नाम रखा है। जीतू अधिकतर अंजली को राधेशाम तीवारी के बगले के बाहर आता है। राधेशाम की पत्नी अंजली (नायिका) अंजली को देखकर समझती है कि राधेशाम और (नायिका) अंजली में अवैध संबन्ध है। वही दूसरी तरफ राधेशाम जीतू को बिना वजह घर आते-जाते समझते की उनकी पत्नी अंजली और जीतू के बीच अवैध संबन्ध है। यहाँ राधेशाम तिवारी और उनकी पत्नी अंजली दोनों एक दूसरे के प्रति वफादार हैं लेकिन एक-दूसरे पर शक करते हैं, जो विश्वास की कमी के कारण होता है। 

इसी बीच तेजा भाई राधेशाम के घर आता है कहता है, कि मेरी बेटी की सगाई आपके बेटी से हुई है। (राधेशाम या तेजा भाई दोनों में से किसी को यह नहीं पता है कि जब राधेशाम गाँव में रहते थे तब किसी समान्य लड़के ने खुद को राधेशाम तिवारी का बेटा बताकर तेजा भाई की बेटी से सगाई कर ली है) राधेशाम अपने बेटे की सगाई तेजा भाई के बेटी के साथ होने से इंकार कर देता है। खुद को सही सबित करने के लिए राधेशाम अपने बेटे को लंडन से बुला लेता है। जब राधेशाम अपने बेटे को तेजा भाई से मिलवाते तो तेजा भाई इस बात से इंकार कर देते हैं कि उसके साथ सगाई हुई थी। इन सबके परिणाम स्वरूप अंजली को लगता है कि राधेशाम तिवारी की अन्य पत्नी व बेटा है। अंजली (नायिका) के झूठ पर तेजा भाई द्वारा लगाया इल्ज़ाम आग में घी का काम करता है।  

चंदू (जो उसके पति होने का नाटक कर रहा है) और जीतू (जिसके यहां अंजली नौकरी कर रही है) दोनों ही अंजली की ओर आकर्षित होते हैं। राधेशाम इन सब समस्याओं से परेशान होकर वकील (जीतू के पिता से) सलाह करके जीतू को अपने घर बुलाते हैं। तब जीतू कहता है कि वह राधेशाम की बेटी अंजली से प्रेम करता है। राधेशाम के यह कहने पर की अंजली नाम की उनकी कोई बेटी नहीं है। जीतू अंजली (नायिका) को फोन करके बुलाता है। अंजली आकर अपनी मजबूरी बताते हुए सच बताती है कि किस तरह गलतफहमी हुई। नौकरी के लालच में अंजली झूठ पर झूठ बोलती रही। अंजली (नायिका) द्वारा बताई सच्चाई के परिणाम स्वरूप राधेशाम व उनकी पत्नी के बीच की गलतफहमी दूर हो जाती है। 

इतने में तेजा भाई आ जाता है और वह अपनी बेटी का पता पूछने लगता है। उसकी बेटी घर से भाग जाती है जिसकी खबर उसे नहीं होती है। राधेशाम तिवारी के घर में मौजूद सभी लोगों को बंदूक तान कर अपने साथ ले जाता है। इसके बाद फिल्म में हंगामा होता है। (यह समझने के लिए अपको फिल्म देखने की आवश्यकता है) पुलिस के आने से हंगामा खत्म हो जाता है। अंत में अंजली जीतू और चंदू एक दूसरे के सामने आते हैं। जीतू और चंदू को अंजली बताती है कि दोनू ही उससे शादी करना चाहते हैं। अंजली पर्ची पर नाम लिखती है और कहती है कि पर्ची उठाने पर दोनों में से जिसका भी नाम आयेगा उसी से वह शादी करती है। जीतू द्वार पर्ची उठाने पर नंदू का नाम आता है। अंजली नंदू के साथ चली जाती है, जीतू बाद में जब पर्ची चेक करता है तो सभी पर्ची पर नंदू का ही नाम लिखा था। जिससे यह स्पष्ट होता है कि अंजली नंदू से प्रेम करती है। 


हंगामा फिल्म की समीक्षा (Review of Movie Hungama)

यह फिल्म कॉमेडी फिल्म है जो दर्शाको को हँसी के लगातार डोज़ देती रहती है। लेकिन कॉमेडी फिल्म में भी समाज की कई समस्याओं का विषय शामिल गए हैं। 

अंजली जो इस फिल्म की नायिका है, उसे मजबूरी में झूठ बोलना पड़ता है। उसके झूठ के कारण अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है। शायद इसलिए ही कहा जाता है कि एक झूठ सौ झूठ का कारण बनता है। 

ज़मीदार अपने दिए कर्ज की कीमत अंजली को अपनी बहु बनाकर हसिल करना चाहता है, जिससे पता चलता है कि कर्ज का बोझ इतना बड़ा है कि यह हमें स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार भी छीन लेता है। 

माता-पिता और बच्चो के बीच विचारों में भेद होने के कारण माता-पिता और बच्चो में भी मतभेद हो जाते हैं, जिसके कारण बच्चे अपने माता-पिता से ही भागने लगते हैं। इसका उदाहरण है नंदू जो अमीर पिता की संतान है लेकिन विचारों में भेद होने के कारण वह अपना घर छोड़कर भाग जाता है। 

रिश्ते विश्वास पर टिके होते हैं, राधेशाम तिवारी और उनकी पत्नी के बीच अविश्वास पैदा हो गया जिसके कारण उन दोनों में लगातार झगड़े होते रहे। फिल्म के अंत तक भी राधेशाम तिवारी के सामने यह सच नहीं आया कि तेजा भाई से किसी लड़के ने यह झूठ बोला है कि वह राधेशाम तिवारी का बेटा है। जिससे दर्शाको को थोड़ी निराशा होती है। 

हँसते हुए समाज की समस्याओं पर नज़र डालने के लिए हंगामा फिल्म अवश्य देखनी चहिये। 


By Sunaina 




कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.